for my friends lets express here
.....dear frnds, here i'm sharing my thoughts of my childhood memories,scholling days,getting into the college.....time spent with friends...unforgettable memories in my life.
lets be friends....
Saturday 10 September 2011
Friday 9 September 2011
bachpann...........
जाड़े की शाम
धुल धूसरित मैदान
बगल की खेत से
गेहूं के बालियों की सुगंध
और मेरे शरीर से निकलता दुर्गन्ध !
तीन दिनों से
मैंने नहीं किया था स्नान
ऐसा था बचपन महान !
.
दादी की लाड़
दादा का प्यार
माँ से जरुरत के लिए तकरार
पढाई के लिए पापा-चाचा की मार
खेलने के दौरान दोस्तों का झापड़
सर "जी" की छड़ी की बौछाड़
क्यूं नहीं भूल पाता वो बचपन!!
.
घर से स्कूल जाना
बस्ता संभालना
दूसरे हाथों से
निक्कर को ऊपर खींचे रहना
नाक कभी कभी रहती बहती
जैसे कहती, जाओ, मैं नहीं चुप रहती
फिर भी मैया कहती थी
मेरा राजा बेटा सबसे प्यारा ..
प्यारा था वो बचपन सलोना !
.
स्कूल का क्लास
मैडम के आने से पहले
मैं मस्ती में कर रह था अट्टहास
मैडम ने जैसे ही मुझसे कुछ पूछा
रुक गयी सांस
फिर भी उन दिनों की रुकी साँसें ,
देती हैं आज भी खुबसूरत अहसास !
वो बचपन!!
.
स्कूल की छुट्टी के समय की घंटी की टन टन
बस्ते के साथ
दौड़ना , उछलना ...
याद है, कैसे कैसे चंचल छिछोड़े
हरकत करता था बाल मन
सबके मन में
एक खास जगह बनाने की आस लिए
दावं, पेंच खेलता था बचपन
हाय वो बचपन!!
.
वो चंचल शरारतें
चंदामामा की लोरी
दूध की कटोरी
मिश्री की चोरी !
आज भी बहुत सुकून देता है
वो बचपन की यादें
वो यादगार बचपन!!!!!!
धुल धूसरित मैदान
बगल की खेत से
गेहूं के बालियों की सुगंध
और मेरे शरीर से निकलता दुर्गन्ध !
तीन दिनों से
मैंने नहीं किया था स्नान
ऐसा था बचपन महान !
.
दादी की लाड़
दादा का प्यार
माँ से जरुरत के लिए तकरार
पढाई के लिए पापा-चाचा की मार
खेलने के दौरान दोस्तों का झापड़
सर "जी" की छड़ी की बौछाड़
क्यूं नहीं भूल पाता वो बचपन!!
.
घर से स्कूल जाना
बस्ता संभालना
दूसरे हाथों से
निक्कर को ऊपर खींचे रहना
नाक कभी कभी रहती बहती
जैसे कहती, जाओ, मैं नहीं चुप रहती
फिर भी मैया कहती थी
मेरा राजा बेटा सबसे प्यारा ..
प्यारा था वो बचपन सलोना !
.
स्कूल का क्लास
मैडम के आने से पहले
मैं मस्ती में कर रह था अट्टहास
मैडम ने जैसे ही मुझसे कुछ पूछा
रुक गयी सांस
फिर भी उन दिनों की रुकी साँसें ,
देती हैं आज भी खुबसूरत अहसास !
वो बचपन!!
.
स्कूल की छुट्टी के समय की घंटी की टन टन
बस्ते के साथ
दौड़ना , उछलना ...
याद है, कैसे कैसे चंचल छिछोड़े
हरकत करता था बाल मन
सबके मन में
एक खास जगह बनाने की आस लिए
दावं, पेंच खेलता था बचपन
हाय वो बचपन!!
.
वो चंचल शरारतें
चंदामामा की लोरी
दूध की कटोरी
मिश्री की चोरी !
आज भी बहुत सुकून देता है
वो बचपन की यादें
वो यादगार बचपन!!!!!!
Wednesday 7 September 2011
friends...
doston se bichad kr.yeh haqiqat malum huyi.........................
...........k beshaq kamine the par raunak unhi se hi thi....................
...........k beshaq kamine the par raunak unhi se hi thi....................
NEVER STOP
Your Smile is your logo.
Your personality is your business card.
How you leave others feeling after an interaction becomes your trademark.
You can trade hours for dollars
OR
You can trade Ideas for millions.
STOP DOUBTING YOURSELF,WORK HARD AND MAKE IT HAPPEN.
NEXT YEAR THIS TIME WE WILL BE MILLIONAIRES.
Your personality is your business card.
How you leave others feeling after an interaction becomes your trademark.
You can trade hours for dollars
OR
You can trade Ideas for millions.
STOP DOUBTING YOURSELF,WORK HARD AND MAKE IT HAPPEN.
NEXT YEAR THIS TIME WE WILL BE MILLIONAIRES.
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